जातीय आग में जल रहा देश का हर नागरिक।


Shivani Tiwari-  15 अगस्त 1947 में हमारे देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवालहरलाल नेहरू जी ने भारत का तिरंगा आसमान में गर्व के साथ फहराया था उस तिरंगे की गर्वीली उड़ान का सन्देश यह था, की आज से देश का हर नागरिक स्वतंत्र और हर नागरिक आजादी के साथ अपनी मातभूमि पर रह सकता हैं किसी पर भी किसी भी प्रकार की हुकुमियत नहीं लेकिन उस तिरंगे की उड़ान का बस इतना ही मतलब नहीं था की अंग्रेजो से आजादी पाना, इसके साथ साथ हमारे देश के वीरो का लक्ष्य यह भी था की देश का हर व्यक्ति प्यार और शांति के साथ रहेगा, देश का हर नागरिक बराबर के सम्मान का हक़दार हैं कोई छोटा-बड़ा नहीं, कोई जात-पात का मत भेद नहीं।

वैसे हम आजाद हिन्द की बात कर रहे हैं तो सही मायनो में यही आजाद देश  का स्वरूप होना चाहिए जंहा बस 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन ही नहीं बल्कि हर दिन आजाद होने का अहसास हो।
लेकिन अगर हम हाल  की वारदातों पर दृस्टि डाले, तो क्या हम कह सकते हैं भारत प्यार और शांति का वाला देश हैं?
हाल में ही 1 जनवरी पर  महाराष्ट्र में लोग जातीय आग में  फिर से जले,  मराठा और दलित की जातीय आग में झुलझे आम लोग,  दरअसल कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा संघ के पेशवा गुट के बीच हुयी थी जिसमे  पेशवा के  गुट को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने हारा दिया था और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ देश के 900-1000 दलितों ने पेशवा के विपक्ष में जाकर युदृ लड़ा था जो दलित सैनिक युदृ में मारे गए थे उनकी आत्मा की शांति हेतु हर साल 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में  सालग्रा मानते हैं और इस बार 200 वी सालग्रा मानने के लिए 500000 दलित भीमा कोरेगांव जुड़े जंहा पर मराठा और दलितो का आमना सामना हुआ और दोनों जातियों के गट ने  ऐसी स्थिति  को जन्म दिया जिसने  कई आम आदमी को दहला दिया और यह दोनों पक्षों की लड़ाई की आग महाराष्ट्र पुणे से मुंबई तक पहुंच गयी जगह-जगह बहनो मे आग लगी हुयी थी लोगो की जगह-जगह से चिल्लाने की आवाजे सुनाई पढ़ रही थी, जो की सरकार को  बचाने की हेतू गोहर लगा रही थी लेकिन जातीय आग दोनों पक्षों में कुछ इस तरह थी की सरकार  और पुलिस कर्मियों की निति  भी उनपर काबू  नहीं कर पा रही थी, इस जातीय आग मे पता नहीं कितने मासूम लोगो को धायल किया और कितनो को बेघर।
  और एक और देश के लिए जाती-पाती का शर्मनाक दर्शय जिसने स्कूल की बसों को भी जातीय आग मे जलाया, हाल मे ही पदमावत फिल्म पर हुए विवाद ने  करणी सेना ने पुरे देश मे हंगामा मचा रखा है जो कई शहरो को आग का हबाला दे चुका है।
हमें अपने दुश्मन देश से लड़ने की कोई आवश्यकता हैं ही नहीं क्यों की हम खुद की एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं हर रोज ऐसे ही हंगामे देश के लोगो को एक-दूसरे का दुश्मन बनाते  जा रहे हैं, हमें पकिस्तान और चीन को भूल जाना चाहिए, क्यों की हम खुद के ही दुश्मन होते जा रहे हैं, देश मे अशांति और बेगुना लोगो का राजनैतिक निति मे जलना, देश को आजाद होने का स्वरूप नहीं देती हैं आजाद हिन्द का मकसद तो भारत में शांति लाना था जो भारत के हर नागरिक को हर दिन स्वत्रंत होने का अहसास कराए लेकिन क्या 200 साल पुरानी वारदाते आज तक लोगो को उस आग में जला रही हैं लेकिन देश को आगे बढ़ाने और आने वाली पीड़ी को सही राह पर चलने के लिए , लोगो को अपने विचारो को नया आकार देना होगा जो देश मे शांति और प्यार का रूप देगा।
 

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