SC-ST एक्ट पर आंदोलन की हिंसा की आग|

20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST एक्ट में संशोधन किया था जिसमें नए नियम के तैहित यह नियम लागू किया गया की SC-ST सामूहिक के आंदर आने वाले लोग जब पुलिस में किसी भी प्रकार का केस दर्ज करते हैं तो आरोपी को तत्कालीन गिरफ़्तार नहीं किया जायेगा, नियमा अनुसार पुलिस को पहले कारवाही करनी होगी, आरोपी के खिलाब सबूत इखट्टे करने होंगे तब जाकर सही दोषी को गिरफ्त में लिया जायेगा और सात दिन के अंदर-अंदर पुलिस को केस की पूरी जानकारी करनी होगी|
और जो संशोधन के पहले एक्ट था उसके अंतगत यह नियम था की कोई भी SC-ST सामूहिक का व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर कोई आरोप थाने में दर्ज कराता था तो उसको तत्कालीन गिरफ्त में ले लिया जाता था|
सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट मे थोड़े से सुधार किये हैं, जिससे किसी भी बेगुना को सजा ना मिले, केस की पूरी जानकारी के बाद सही दोषी को सजा मिले|
इस संशोधन के विरोध मे 2 अप्रैल को भारत बंद का नारा लगा पुरे देश में, लेकिन इस विरोध की हिंसा की आग 12 राज्यों के कई मासूमो को अपनी लपटों मे ले लिया, जिसके कारण 16-17 लोगो ने अपनी जान गवा दी हैं|
मध्य प्रदेश में (ग्वालियर, भिंड, मुरैना )दलितों ने बहुत हिंसा फैलाई, जिसके कारण जगह-जगह कर्फ्यू लगाना पढ़ा और इस हिंसा ही आग कुछ इस तरह थी की कर्फ्यू धारा 144 लगाना पढ़ा |
इस हिंसा मे हज़ारो की तागात में वाहनों की तोड़-फोड़ की, जगह-जगह वाहनों को आग का हवाला दिया और दुकानों, शोरूम की भी तोड़- फोड़ की, साथ ही साथ फायरिंग भी की जिसने हिंसा को और आग दी।  जंहा तक दलितों ने हिंसा को कुछ ऐसा रूप दिया जिसने कॉलेज जा रही बसों को भी नहीं छोड़ा|
मध्य प्रदेश केंद्र सरकार ने दंगो,  बढ़ती हिंसा को देख सुप्रीम कोर्ट से अपने आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगाने से साफ़ मना कर दिया हैं, जज ने कँहा जो लोग विरोध मे प्रदर्शन कर रहे हैं उन्होंने हमारा आदेश पढ़ा भी नहीं,  हमें जेलों में बंद बेगुना लोगो की चिंता हैं मामला संवैधानिक हैं, हमें इससे कोई लेना-देना नहीं की कोर्ट के बहार क्या हो रहा हैं |
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारो से तीन दिन मे लिखित दलीलें मांगी हैं| 10 दिन के अंदर दुबारा सुनवाई होगी और साथ ही साथ कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया हैं की इस मामले में सिर्फ केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होगी, कोई भी नया पक्षकार शामिल नहीं किया जायेगा|
हिंसा से ना तो राजनीती बदली जा सकती हैं और ना ही किसी व्यक्ति को, लेकिन हिंसा हिंसा को बढ़ावा जरूर देती हैं|

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